देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार 11 अगस्त को देहरादून में सीएम आवास पर हाईलेवल मीटिंग की. इस बैठक में आपदा प्रबंधन एवं सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की. ताकि भविष्य में धराली आपदा जैसी घटनाओं को रोका जा सके. बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन, हिमस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील स्थानों की तत्काल पहचान की जाए, ताकि संभावित खतरे से पहले ही सतर्कता बरती जा सके.
इसके अलावा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि इन चिन्हित संवेदनशील स्थलों पर किसी भी प्रकार की नई बस्ती या नए निर्माण कार्य की अनुमति नहीं दी जाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के प्राकृतिक जल स्रोतों एवं नदी-नालों के तटों पर किसी भी प्रकार के सरकारी या निजी निर्माण कार्य पर रोक रहेगी. इसके लिए सभी जिलाधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं और उनके क्रियान्वयन की नियमित निगरानी की जाए.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चेतावनी दी है कि इन निर्देशों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि उत्तरकाशी जिले के धराली बाजार में बीती पांच अगस्त को खीरगंगा से पानी का सैलाब आया था, जिसने पूरे धराली बाजार को बर्बाद कर दिया है. अब धराली बाजार मलबे के ढेर के नीचे दफन हो चुका है. बीते सात दिनों से धराली में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. फिलहाल राज्य सरकार की तरफ से इस आपदा में 66 लोगों के लापता होने की जानकारी दी है. वहीं पांच लोगों की मौत की बात कही गई है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद रेस्क्यू ऑपरेशन की रोजाना जानकारी ले रही है. सीएम धामी ने कई दिनों तक आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में कैंप भी किया था. रेस्क्यू ऑपरेशन की खुद मॉनिटरिंग की थी. गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय के मुताबिक आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में फंसे करीब 1200 लोगों का रेस्क्यू किया गया है. अब सरकार को प्रयास मलबे में दबी जिंदगियों को ढूंढना है. इसके अलावा आपदा पीड़ितों को राज्य सरकार की तरफ से पांच-पांच लाख रुपए की आर्थिक मदद दी गई है.
वैसे इस समय बढ़ा खतरा हर्षिल घाटी में हेलीपैड पर बनी अस्थाई झील है, जिसकी वजह से गंगोत्री हाईवे भी डूब गया है. ये झील करीब 4 किमी में फैली है और इस झील की वजह से भागीरथी का प्रवाह भी रुक गया है. इसीलिए सिंचाई विभाग समेत अन्य संस्थाओं की टेक्निकल टीम झील को पंचर करने का प्रयास कर रही है, ताकि इस झील से धीरे-धीरे पानी की रिसाव हो और संभावित खतरे को दूर किया जा सके.