पौड़ी: वीरभूमि पौड़ी गढ़वाल का एक और लाल भारतीय सेना का अभिन्न हिस्सा बन गया है. पौड़ी निवासी पारस सिंह बिष्ट ने बिहार के गया स्थित भारतीय सेना अकादमी में आयोजित पासिंग आउट परेड के बाद लेफ्टिनेंट की रैंक हासिल की. परेड में शामिल माता-पिता ने जब बेटे को भारतीय सेना की वर्दी में देखा तो उनकी आंखें गर्व और खुशी से नम हो गईं.
रस सिंह बिष्ट की इस सफलता से उनके मूल गांव बाड़ा और जिला मुख्यालय पौड़ी समेत पूरे प्रदेश में हर्ष की लहर है. पौड़ी पहले भी देश को विपिन रावत जैसे पहले सीडीएस बिपिन रावत और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जैसे रत्न दे चुका है. अब पारस की यह उपलब्धि एक बार फिर से पौड़ी को गौरवान्वित कर रही है.

पारस सिंह बिष्ट (फोटो सोर्स- Family Member)
बिहार के गया स्थित प्रतिष्ठित प्रशिक्षण केंद्र में शनिवार को संपन्न हुई भव्य पासिंग आउट परेड में पौड़ी गढ़वाल जिले के युवा पारस सिंह बिष्ट ने लेफ्टिनेंट बनकर मां भारती की सेवा का संकल्प लिया. उनकी इस उपलब्धि से बाड़ा गांव समेत पूरे पौड़ी जिले में खुशी की लहर है.
इडवालस्यूं पट्टी के बाड़ा गांव निवासी पारस एक सामान्य व संघर्षशील पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता नेत्र सिंह बिष्ट राष्ट्रीय बाल भवन (नई दिल्ली) में सरकारी कर्मचारी हैं. जबकि, मां नीमा देवी गृहणी हैं. पारस तीन बहनों के इकलौते भाई हैं और शुरुआत से ही पढ़ाई में अव्वल रहे.

अपने माता पिता संग पारस सिंह बिष्ट (फोटो सोर्स- Family Member)
दिल्ली से हासिल की उच्च शिक्षा: पारस की प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा नई दिल्ली में हुई. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा आंध्रा एजुकेशन सोसायटी (नई दिल्ली) से हासिल की, फिर गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (आईपी यूनिवर्सिटी) से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) में बीटेक किया.
तकनीकी शिक्षा पूरी करने के बाद पारस ने सेना में अधिकारी बनने का सपना देखा. उन्होंने मेहनत और लगन के साथ एसएससी टेक एंट्री परीक्षा दी. सभी चरण सफलता पूर्वक पार किए. इसी दृढ़ इच्छाशक्ति और कठिन परिश्रम का परिणाम है कि आज वे भारतीय सेना का हिस्सा बन चुके हैं.

भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने पारस सिंह बिष्ट (फोटो सोर्स- Family Member)
पारस की उपलब्धि पर परिवार गर्व से गदगद: पारस की इस उपलब्धि से उनका परिवार गर्व से गदगद है. दादा बलवंत सिंह बिष्ट और दादी सुशीला देवी गांव बाड़ा में ही रहते हैं. वहीं, नाना सुखदेव सिंह रौथाण और नानी सुशीला देवी रुद्रप्रयाग जिले के बच्छणस्यूं पट्टी स्थित नवासू गांव के निवासी हैं.
“यह उपलब्धि मेरे परिवार के सहयोग, आशीर्वाद और प्रेरणा से संभव हुई है. मैंन संकल्प लिया कि मैं पूरे समर्पण और निष्ठा के साथ मां भारती की सेवा करूंगा.“- पारस सिंह बिष्ट, लेफ्टिनेंट