उत्तराखंड में 15 साल पुराने कॉमर्शियल वाहनों की फिटनेस फीस में छूट 21 फरवरी 2025 तक बढ़ा दी गई थी, बाकायदा इसके आदेश भी हुए। लेकिन, ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में फिटनेस फीस बढ़कर आ रही है। लिहाजा, कारोबारियों को 15 से 20 गुना ज्यादा फीस चुकाकर वाहनों की फिटनेस करवानी पड़ रही है।
दरअसल, पहले सभी श्रेणी के वाहनों की फिटनेस फीस 600 रुपये थी। फरवरी 2023 में केंद्र सरकार ने 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों की फिटनेस फीस 15 से 20 गुना तक बढ़ा दी थी। वाहन श्रेणी के अनुसार फिटनेस फीस के स्लैब बनाए गए।
ट्रांसपोर्टरों की मांग पर तब उत्तराखंड सरकार ने फिटनेस फीस की दर 21 फरवरी 2024 तक यथावत रखने का आदेश किए थे। इसी साल 22 फरवरी को परिवहन सचिव अरविंद ह्यांकी की ओर से यह छूट 21 फरवरी 2025 तक बढ़ाने के आदेश कर दिए गए, जो अभी लागू नहीं हो पाया और पोर्टल पर 22 फरवरी से बढ़ी हुई दरों पर फीस भरनी पड़ रही है। परिवहन कारोबारियों को इससे आर्थिक नुकसान हो रहा है।
यह मामले सामने आए
मैक्सी कैब स्वामी चंदन सिंह ने सात मार्च को अपने वाहन की फिटनेस करवाई। 9000 रुपये शुल्क जमा करवाकर फिटनेस करवाई। जबकि पहले उनकी वाहन की फिटनेस 600 रुपये में हो जाती थी।
एक निजी संस्था ने पांच मार्च को अपनी एंबुलेंस की फिटनेस करवाई। पहले वाहन की फिटनेस फीस 600 रुपये तक जमा होती थी, लेकिन इस बार 11 हजार 700 रुपये ऑनलाइन जमा करवाने पड़े।
परिवहन कारोबारी इतनी भर रहे फीस
जो फीस सिर्फ 600 रुपये तक देनी है, उसके लिए अलग-अलग स्लैब में परिवहन कारोबारियों को मोटी रकम चुकानी पड़ रही है। भारी माल एवं यात्री वाहन के लिए 12500 रुपये, मध्यम माल एवं यात्री वाहन के लिए 10000 रुपये, हल्के वाहन के लिए 7500, थ्री व्हीलर के लिए 3500 और टू व्हीलर के लिए एक हजार रुपये जमा करवाने पड़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री और परिवहन सचिव से की शिकायत
महानगर सिटी बस सेवा सोसायटी के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल ने मुख्यमंत्री और परिवहन सचिव से इसकी शिकायत की है। उन्होंने कहा कि फिटनेस शुल्क में छूट के आदेश के बाद भी ट्रांसपोर्टरों से बढ़ा शुल्क लिया जा रहा। उन्होंने जांच कराकर दोषियों से खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। जिनसे ज्यादा शुल्क लिया, उनको वापस लौटाने की मांग की।
15 साल पुराने कॉमर्शियल वाहनों की फिटनेस फीस में फरवरी 2025 तक छूट है। लेकिन, ऑनलाइन बढ़ा हुआ शुल्क आ रहा है। इसको अपडेट करवाने के लिए एनआईसी से संपर्क किया जा रहा है।
नवीन सिंह, एआरटीओ (प्रशासन), देहरादून