शोभायात्रा के साथ मां नंदा देवी मेला संपन्न, मां के जयकारों से गूंज उठा शहर, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ – NANDA DEVI FAIR IN UTTARAKHAND

अल्मोड़ा: उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा का नंदा देवी का ऐतिहासिक मेला शोभायात्रा के साथ संपन्न हो गया है. बड़ी तादाद में लोगों ने मां नंदा सुनंदा के दर्शन किए और मां के जयकारों से नगर गूंज उठा. साथ ही लोगों ने मां नंदा सुनंदा से सुख-समृद्धि की कामना की. वहीं मां नंदा-सुनंदा के मायके से विदाई के दौरान लोग भावुक हो गए.

मां नंदा सुनंदा की शोभायात्रा को देखने एवं मां की प्रतिमाओं की एक झलक पाने के लिए दूर दराज के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. डोला सायं 4 बजे बाद नंदा देवी मंदिर से प्रारम्भ होकर लाला बाजार, बंसल गली, होते हुए माल रोड़ पहुंचा, जहां पर जीजीआईसी में स्थित मंदिर से भव्य आरती की गई. उसके बाद मां का डोला सीढ़ी बाजार, कचहरी बाजार थाना बाजार होता हुआ दुगालखोला पहुंचा.

यहां पर स्थित नौला में मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों का विसर्जन किया गया. इस दौरान सर्वप्रथम मां की आरती की गई और भक्तों द्वारा लगाये गये मां के जयकारे से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. वहीं मां की मूर्तियों का विधि विधान से विसर्जन किया गया. विसर्जन के बाद भक्त नंदा देवी मंदिर पहुंचे और मंदिर में पूजा अर्चना की गई. अल्मोड़ा में भाद्र मास की पंचमी से नंदा देवी का मेला प्रारंभ होता है.षष्टी के दिन कदली वृक्षों (केले के पेड़) को आमंत्रण दिया जाता है और सप्तमी की प्रातः उन कदली वृक्षों को नंदा देवी मंदिर परिसर में लाकर उनसे मां नंदा एवं सुनंदा की प्रतिमाओं का निमार्ण स्थानीय कलाकारों द्वारा किया जाता है. जिसके बाद नंदा अष्टमी एवं नवमी के दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है. दशमी के दिन मां की शोभायात्रा धूमधाम से निकाली जाती है. जिसमें बड़ी तादाद में श्रद्धालु शामिल होते हैं.

वैसे तो पूरे उत्तराखंड में नंदा देवी की विशेष पूजा अर्चना के साथ मेलों का आयोजन किया जाता है. लेकिन सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में मनाया जाने वाला नंदा देवी का मेला ऐतिहासिक है. यह मेला चंद वंश के शासन काल से अल्मोड़ा में मनाया जाता रहा है. आज भी अल्मोड़ा के इस मेले में होने वाली नंदा सुनंदा की विशेष पूजा अर्चना के लिए चंद वंश के वंशज आते हैं. इतना ही नहीं इस मेले में दूर दराज से श्रद्धालु मां के दर्शन को उमड़ पड़ते हैं.

गौर हो कि कुमाऊं में लोग मां नंदा-सुनंदा को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं. विसर्जन में लोग अपनी बेटी को ससुराल विदा करते हैं. नंदा अष्टमी के मौके पर अल्मोड़ा नंदा मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है. ब्रह्म मुहूर्त में मां नंदा-सुनंदा की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद उनके डोले को मंदिर प्रांगण में भक्तों के दर्शन के लिए रखा गया. जिसके बाद शहर में शोभायात्रा निकाली जाती है. जिसमें बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं और मांग को ससुराल विदा करते हैं. ये पल काफी भावुक करने वाला होता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *