धराली आपदा में 3 हेक्टेयर कृषि भूमि बर्बाद, कई मवेशी मलबे में दबे, ग्रामीणों की रोजी रोटी पर संकट – UTTARKASHI DHARALI DISASTER

देहरादून: उत्तरकाशी जिले के धराली में आई आपदा के कारण न केवल बड़ी संख्या में जान माल का नुकसान हुआ है, बल्कि यहां स्थानीय किसानों की रोजी-रोटी भी प्रभावित हुई है. इस क्षेत्र में कई पशु मलबे में दब गए और किसानों की खेती भी बर्बाद हो गई. जिसने लोगों के सामने भविष्य का संकट खड़ा कर दिया है.

धराली की आपदा में सेब की बागवानी और बाबूगोसा के पेड़ों को खासी क्षति पहुंचने के साथ ही इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में होने वाली राजमा की खेती को भी नुकसान पहुंचा है. इस तरह धराली में न केवल लोगों को अपने कारोबार से हाथ धोना पड़ा है, बल्कि किसानों के लिए भी भविष्य की रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है.

खेती को नुकसान: आपदा की बाद से ही सरकार भी यहां हुए नुकसान का आकलन करने में जुटी हुई है. इस कड़ी में फौरी तौर पर अभी कृषि विभाग ने जो आकलन किया है उसके अनुसार, उत्तरकाशी जिले में 7.30 हेक्टर क्षेत्र में कृषि का नुकसान हुआ है. जिसमें से 3.10 हेक्टर कृषि का नुकसान धराली क्षेत्र में हुआ है. कृषि विभाग का आकलन है कि उत्तरकाशी में कुल 7 करोड़ 18 लाख रुपए की कृषि भूमि की क्षति हुई है.

पशुओं की हानि: इस धराली आपदा में सिर्फ न केवल किसानों को बल्कि पशुपालकों को भी भारी नुकसान हुआ है. अभी शुरुआती आकलन में पशुपालन विभाग ने भी करीब 25 से 30 पशुओं के मलबे में दबने की पुष्टि की है. हालांकि अभी यह आंकड़ा और भी ज्यादा बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है.

फसलों पर संकट: उत्तरकाशी जिले के अधिकतर क्षेत्र यात्रा आधारित हैं. इसके अलावा खेती और पशुपालन भी यहां के लोगों के लिए रोजी-रोटी का मुख्य जरिया है. ऐसे में जिले में कई क्षेत्रों में आई आपदा यहां के लिए जान माल का नुकसान करने के साथ भविष्य की रोजी-रोटी के संकट को भी लाई है. बड़ी बात यह है कि जो खेती फिलहाल बची हुई है, उसे भी बाजार तक पहुंचाना मुश्किल हो रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि जिले के कई क्षेत्र मुख्य मार्ग से कटे हुए हैं.

किसानों को राहत देने की कोशिश: कृषि मंत्री गणेश जोशी बताते हैं कि धराली में जो नुकसान हुआ है, उसका आकलन किया जा रहा है. फिलहाल जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके आधार पर किसानों को राहत देने की कोशिश की जा रही है. इसमें कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां खेती के नुकसान के आधार पर केंद्र की तरफ से राहत दी जा रही है. जबकि कई फैसलें, जिनका नुकसान हुआ है, वह इंश्योरेंस के दायरे में आती हैं. उन्हें भी क्षतिपूर्ति दिए जाने पर काम चल रहा है.

पशुओं के आंकड़ों को भी पशुपालन विभाग जुटा रहा है. अभी स्थानीय लोगों की तरफ से जो जानकारी दी गई है, उसके अनुसार 25 से 30 जानवर इस आपदा में मारे गए हैं. इसके अलावा भी आने वाले दिनों में कुछ और आंकड़े बढ़ने की उम्मीद है. पशुपालकों को राहत देने के लिए भी सरकार की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं.

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