उत्तराखंड के सीमांत इलाकों में भी करवाचौथ का क्रेज, सुहागिनों को भी मिली सौगात

खटीमा: पूरे भारत वर्ष में शुक्रवार को करवाचौथ मनाया गया. उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्र खटीमा में भी हर्षोल्लास ये महिलाओं ने करवाचौथ मनाया. शुक्रवार सुबह के समय सुहागिन महिलाओं ने करवा का पूजन कर उगते सूरज की पूजा अर्चना की. वहीं, पति की दीर्घायु की कामना के लिए निर्जला व्रत की सुहागिन महिलाओं ने शुरुवात की. शाम के समय चंद्रमा का पूजन कर अपने पति के हाथो से जल ग्रहण कर अपने निर्जला व्रत को सुहागिन महिलाओं ने पूर्ण किया. साथ ही ईश्वर से अपने पति की दीर्घायु की कामना की.

शुक्रवार को भारतवर्ष में महिलाओं के प्रमुख पर्व करवाचौथ को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया. अपने पति की दीर्घायु की कामना को लेकर सुहागिन महिलाओं के द्वारा मनाए जाने वाले करवाचौथ पर्व पर निर्जला व्रत रख महिलाएं इस पर्व को बेहद आस्था पूर्वक मनाती हैं. यह पर्व कुमाऊं की पर्वतीय समाज में आधुनिक समाज की महिलाओं देश के अन्य समाज की तरह मनाए जाने लगा हो लेकिन पहले पर्वतीय समाज में केवल तीज पर्व को ही पर्वतीय की दीर्घायु की कामना हेतु मनाया जाता था, लेकिन वर्तमान में पर्वतीय समाज में नई पीढ़ी के साथ बुजुर्ग महिलाएं भी इस निर्जला व्रत को रख करवा चौथ पर्व को हर्षोल्लास पूर्वक मना अपने पति की दीर्घ आयु की भगवान से कामना करती हैं.सुहागिन महिलाओं के द्वारा करवा का सुबह स्नान ध्यान कर जहां पूजन किया जाता है. सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर इस निर्जला व्रत की शुरुवात की जाती है. शाम के समय चंद्र भगवान के आसमान में उदय के साथ जहां उनका पूजन किया जाता है. चंद्र भगवान के पूजन उपरांत अपने पति का पूजन कर उनके हाथ से जल ग्रहण कर इस निर्जला व्रत को पूर्ण किया जाता है. साथ ही भगवान से सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं.

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