‘जुगाड़’ से बनी इस कांवड़ को पसंद कर रहे शिव भक्त, जानिए किन चीजों का होता है इस्तेमाल – KANWAR YATRA 2025

हरिद्वार: आपने एक कहावत तो जरूर सुनी होगी कि देश उधार और जुगाड़ पर चलता है. आज भी उधार और जुगाड़ की कोई कमी नहीं है. ऐसा ही कुछ इन दिनों कांवड़ मेले के दौरान देखने को मिल रहा है. यहां गंगा जल भरने कांवड़िए हरिद्वार आ रहे हैं. जो ज्यादातर कलश वाली कांवड़ लेकर आ रहे हैं. इसे जुगाड़ कर तैयार किया जाता है. ऐसे में आज आपको ये कांवड़ कैसे तैयार होती है? इसकी जानकारी देते हैं.

बता दें कि कलश वाली कांवड़ तैयार करने के लिए कुछ सामान की जरूरत होती है. इनमें कलश, बांस का डंडा और रस्सी. इसके साथ ही सबसे महत्वपूर्ण चीज चाहिए होती है, जिसे एम सील कहा जाता है. जिससे गंगा जल भरने के बाद कलश को सील किया जाता है. कांवड़ यात्रा के दौरान बाकी दिनों में बाजार में आसानी से मिलने वाली एम सील के दाम भी बढ़ जाते हैं.

जो एम सील आम दिनों में दुकानों पर ₹10 की मिल जाया करती थी, वो हरकी पैड़ी क्षेत्र में ₹15 में बेची जाती है. उसके बावजूद भी इसे कांवड़िए इसे खुश होकर लेते हैं. इसके अलावा इस कांवड़ में उपयोग होने वाली रस्सी की बात करें, तो वो ₹10 से लेकर ₹20 तक की जोड़ी मिलती है. जबकि, कलश ₹400 से लेकर शुरू होता है. इन्हीं चीजों को जोड़कर कलश कांवड़ तैयार की जाती है.

Kalash Kanwar

“कलश वाली कांवड़ पहले की अपेक्षा अब ज्यादा पसंद की जा रही है. इसमें कांवड़िए ज्यादा जल लेकर अपने गंतव्य की ओर जाते हैं और बाद में कलश भी उनके काम आ जाता है. इस कलश को बंद करने के लिए एम सील का इस्तेमाल होता है, जो पूरी तरह से कलश को सील कर देती है. इससे जल लीक नहीं होता है. दुकानदार एक दिन में 100 पैकेट एम सील के सेल कर देते हैं. इसके साथ ही कलश कांवड़ में उपयोगी धागे की भी अच्छी खासी ब्रिकी हो जाती है.”– दुकानदार

क्या होती है कलश वाली कांवड़: कलश वाली कांवड़ को कलश के साथ बनाया जाता है. इसे एक बांस के डंडे में बांधा जाता है. उसमें कलश की संख्या के अनुसार गंगा जल भरा जाता है. दो कलश का मतलब होता है कि 40 लीटर गंगा जल भरा है. क्योंकि, आमतौर पर एक कलश 20 लीटर का होता है.

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हरकी पैड़ी पर कलश तैयार करते कांवड़िए (फोटो- ETV Bharat)

शिव भक्त कांवड़िया अपनी इच्छा अनुसार इस कलश की संख्या बढ़ा लेते हैं और यह 200 लीटर तक भी पहुंच जाता है. अमूमन देखा गया है कि शिव भक्त कांवड़िए कलश कांवड़ ज्यादा उठा लेते हैं. पिछले कुछ सालों में अन्य कांवड़ों के मुकाबले कलश वाली कांवड़ को ज्यादा पसंद कर रहे हैं

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